तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं। तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं।
पर ये अब नही सिखाओ , बेटों को भी भावुक बनाओ दिमाग से नहीं , दिल से काम लें ... जब कि पर ये अब नही सिखाओ , बेटों को भी भावुक बनाओ दिमाग से नहीं , दिल से काम लें .....
कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है कविता लिखना भीवैज्ञानिक खोज सेकुछ कम नही है
कोरोना ने आकर कहर ढाया था। सरकार ने भी पाबंदी लगाया था। कोरोना ने आकर कहर ढाया था। सरकार ने भी पाबंदी लगाया था।
तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर ! तो समझिये बस निकट ही है सुख की भोर !
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।